Sunday, November 13, 2016

अन्त: मन

दिये की आग का हाल कुछ यूँ है कि
लौ मौजूद है, मगर बाती नहीं 
क्यों है, कैसे है, इसका पता नहीं,
वर्त्तमान तो है मगर वजूद नहीं।  

बिन बाती के, खड़ी है दो बूँद तेल लिए। 
हवा के झोंके अक्सर लौ मंद कर देते है, मगर 
तूफानों के थम जाने पर भी, भभकती नहीं 
बुझती नहीं, बुलंद जलती नज़र आती है। 

रात के काले आसमान को ये नीला कर दे,
गहरे अन्धकार को ये रौशनी से भर दे 
आशाओं की असीमित ताकत से ये जल रही है ,
ठंडी दुनिया में तपन देकर, ये वर्तमान को
रोशन कर, भविष्य को प्रकाश दे रही है। 

Wednesday, March 23, 2016

एक एहसास

कुछ बरस पुरानी बात है ये
एक सिलसिला शुरू हो रहा था,
खोज रहा था किसी और को, पर
खुद मैं ही कही खो रहा था

हालात कुछ इस तरह थे की
लगा एक एहसास बोल रहा था,
दिल की तो रज़ा राह पे बढ़ने की थी
पर दिमाग को कुछ ऐतराज़ हो रहा था

हो गया था बेखबर, हो गया था नादान
थी चाहत ऐसी की खुद ही को धोखा दे रहा था
जब खायी थी चोट इस दिल ने तब समझ मुझे आया
की समेटा उसे, जबकि बिखर मैं खुद रहा था।

Sunday, April 27, 2014

आजा तू एक फ़साने से ।

आजा तू एक फ़साने से,
अजनबी इस ज़माने से,
ख्वाइशें हैं तुझे छुपालु खुद में,
मिलजा तू मुझे बहाने से। 

ढूंढ़ता हूँ तुझे मैं इस कदर,
कहाँ गयी तू ओ बेखबर,
हो गयी है नम मेरी नज़र,
यूँ तेरे खो जाने से। 
आजा तू एक फ़साने से,
अजनबी इस ज़माने से,
ख्वाइशें हैं तुझे छुपालु खुद में,
मिलजा तू मुझे बहाने से। 

नजाने क्या मेरी हो गयी खता,
हो गयी इस कदर तू लापता,
आ जाये अब तू पास मेरे,
मेरे तुझको मनाने से।
आजा तू एक फ़साने से,
अजनबी इस ज़माने से,
ख्वाइशें हैं तुझे छुपालु खुद में,
मिलजा तू मुझे बहाने से। 

तेरे बिन हूँ मैं बिलकुल अधूरा,
तेरे अक्स से ही हुआ मैं पूरा,
जन्नत मुझे दिखलाजा तू,
अब मेरे करीब आ जाने से। 
आजा तू एक फ़साने से,
अजनबी इस ज़माने से,
ख्वाइशें हैं तुझे छुपालु खुद में,
मिलजा तू मुझे बहाने से। 

Thursday, March 13, 2014

माँ

अनंत है ममता तेरी, छोर नहीं कोई पाने को, 
आजन्म ऋणी है तेरे माँ, कुछ भी नहीं चुकाने को, 
माँ सृष्टा भी तुम हो,सृष्टि भी तुम हो, 
जननी भी तुम हो, जगत भी तुम हो, 
तुम सृजनहार,तुम पालनहार 
मेरा नमन तुम्हे है माँ बार बार।  

तुम बिन ये संसार अधूरा,तुम बिन मेरा जीवन है कोरा, 
तुम जब करीब न हो तो लगे हर दिशा में अँधेरा, 
तुम जब करीब हो तो मिले हर पल रोशन सवेरा 

तेरी ममता की कोई तुलना नहीं, 
प्यार देने में कोई कमी नहीं, 
कमी है तो केवल हम बच्चो में, 
जिन्हे तेरी ममता की परवा नहीं।  

नौ महीने तक सहा तुमने जिसके लिए दर्द हर रोज़, 
जिन्हे देना चाहिए तुम्हे सहारा, अफ़सोस, 
वही आज तुम्हे समझ रहे हैं अपने जीवन में बोझ।  

तूने हर कदम पे  अपनी ममता का प्रमाण दिया, 
खोट है मुझमे, करता हूँ नादानी,फिर भी मुझ पर गुमान किआ 
लानत है मुझपर जो तेरी ममता का अपमान किआ।  

भटक गया हूँ,चला गया हूँ माँ तुझसे कितना दूर, 
बस पुकार देकर आखरी बार बुला दे, 
चाहता हूँ तू पकड़े मेरा कान, 
और मुझको सही राह दिखला दे माँ, मुझको सही राह दिखला दे। 

Monday, March 3, 2014

मेरी मोहब्बत है खोयी !

थी जो तेरे मेरे दरमियाँ,
खुशियां  रही  ना अब यहाँ कोई,
जाने कहाँ हो गयी है लापता,
इसकी हमको भनक भी ना होई,
थे संजोये सपने सहारे जिसके,
पता नहीं वो मोहब्बत कहाँ है खोयी।


इतनी शिद्दत से करती थी जिसका श्रृंगार,
उस हसीन मुस्कुराहट का निशाँ ना कोई,
नीरस हो गया है अब ये समा,
बिना इसके, ज़िन्दगी भी मेरी सूनी होई,
बनाये रखती थी जो खूबसूरती तुम्हारी,
जाने वो मोहब्बत कहाँ है खोयी।


मौजूदगी से तेरी जागी थी जो किस्मत मेरी,
जाने से तेरे वो बेचारी फिर से है सोयी
कर गयी है मुझको इतना बेबस और तन्हा,
की मेरी रूह भी मेरे संग खूब है रोई ,
बांधे रखा था जिसने हमारे रिश्ते की डोर को,
करके मुझे अधूरा जाने वो मोहब्बत कहाँ है खोयी।




Sunday, February 23, 2014

तो क्या बात थी !

जज़बा भी था जूनून भी था,
ज़रूरत थी तो एक चिंगारी की,
पता था मंज़िल का , पता थे रास्ते भी,
बस दिशा मिल जाती तो क्या बात थी।

निकल पड़े थे सफ़र पर,
मुकाम पाने को थे तैयार,
थे मुश्किलों से बेखबर,
खतरों कि भनक भी ना थी,
अगर होता इतना सरल ये सफ़र तो क्या बात थी।

मिले थे हमसफ़र राह में,
लेकिन थे सभी अनजान,
मंज़िल थी नज़दीक, बस कुछ कदम की बात थी,
अगर संग होता कोई अपना, तो उस कामयाबी की क्या बात थी।

भूखा है इंसान प्यार का

बिताने को एक पल नहीं किसी के पास,
कहने को साथ है जीवनभर का,
नहीं चाहिए ये दौलत इसे,
भूखा है इंसान प्यार का।

चलना तुझे सिखाया जिसने,
मुश्किलों से लड़ना सिखाया जिसने,
वो रह गया है पिता केवल नाम का,
तुझसे कुछ नहीं मांगता बेटा,
भूखा हूँ मैं तो तेरे प्यार का।

दुनिया में जो तुझे लेकर आयी,
तेरी खातिर उसने तकलीफ उठाई,
9 महीनों तक उसने तेरा बोझ उठाया,
ज़िन्दगी भर तेरा दर्द अपनाया,
तेरी जिसने इतनी सेवा की,
वो आज भी कुछ ना मांगती,
भूखी है वो माँ आज भी तेरे प्यार की।

क्या हो गयी है आज तेरी दशा,
दौलत का चढ़ गया है तझे नशा,
होता था जिसे एहसास प्यार का,
भूखा है वो आज खुमार का,
अब मर गया उसका ज़मीर,
जी रहा है केवल एक शरीर,
तरसता है वो किसी के साथ का,
क्यूंकि, आज भी भूखा है इंसान, प्यार का।